रुकना नहीं मना हैं मंज़िल थोड़ी दूर पर तु रुकना नहीं
मंज़िल को पाने की चाह तु कभी छोरना नहीं
रुकना नहीं मना हैं मंज़िल थोड़ी दूर पर तु रुकना नहीं
तु रुका तो तु हर जाएगा तु रुकना नहीं
रुकना नहीं मना हैं मंज़िल थोड़ी दूर पर तु रुकना नहीं
दिखाएगी बहुत कुछ ये ज़िंदगी पर तु हर मन्ना नहीं
तु रुकना नहीं मना हैं मंज़िल थोड़ी दूर पर तु रुकना नहीं
कर अपने होसले बुलंद तू रहो के काँटे भी फूल बन जाएँगे
तु रुकना नहीं मना हैं मंज़िल थोड़ी दूर पर तु रुकना नहीं
साथी के साथ बढ़ते चल तू हिम्मत का दामन तू छोरना नहीं
तु रुकना नहीं मना हैं मंज़िल थोड़ी दूर पर तु रुकना नहीं
तेरा होसला और साथ ही तुझे आगे बढ़ाएगा तू रुकना नहीं
रख हिम्मत साथ चल तू पर तू अभिमानी कभी बनना नहीं
तु रुकना नहीं मना हैं मंज़िल थोड़ी दूर पर तु रुकना नहीं
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