Friday, July 10, 2020

किन्नर

ना नर है ना नारी हैं फिर भी हम सब पर भारी हैं
ना रखते तुम ख़याल हमारा 
हम अपने आप मैं ही शिव शक्ति भंडारी है 
ना है साथ माँ का दुलार ना है साथ पिता का हाथ 
फिर भी कोसते है ये समाज चाहतें है ना ये हमारा साथ 
ना नर है ना नारी है फिर भी हम सब पर भारी है 
ना दे सको तुम इज़्ज़त तो ठीक पर हम इस समाज मैं बराबरी के हिस्सेदारी है 
ना अपनाओ तुम हमको तो ठीक पर जीने के हम भी अधिकारी है 
ना नर है ना नारी है फिर भी हम सब पर भारी है 
ना करते हम किसी का बुरा बस दूसरों पर हम आभारी है 
देते है दुआ सबको पर हमारी ख़ुद की झोली ख़ाली है 
चाहते है हम भी ऐसा बचपन जैसे हर बच्चें की कहानी है 
ना नर है ना नारी है फिर भी हम सब पर भारी है 
ना दे सको तुम प्यार तो ठीक ओर ना ही हम तिरस्कार के अधिकारी है 
बनाया है भगवान ने हम सब एक हीं माटी के सुराही है 
करते है हम सवाल खुदा से क्या यही हमारी ज़िंदेगानी है 
देते है हम आशीर्वाद हम सबको क्या हमारे लिए ये सब एक उनसुलझी सी कहानी है 
ना नर है ना नारी है फिर भी हम सब पर भारी है 


Wednesday, July 8, 2020

रिश्ते की धूप छांव

कभी दर्द ये देते है 
कभी ख़ुशियाँ ये बाँट लेते है 
कभी ऊँचाइयों पर पहुँचने मैं साथ ये देते है 
कभी हर मुश्किल मैं मज़बूती ये देते है 
कभी प्यार ये बरसाते है 
कभी धूप से कड़क बन सीख ये सिखाते है 
कभी छांव बन कर हर मुश्किल पार करवाते है 
कभी अँधेरे मैं उम्मीद की रोशनी ये जलाते है 
कभी हार मानने पे होसला ये बढ़ाते है
कभी हमारी कमियों के साथ भी ये अपनाते है 
कभी हमारे ग़लत होने पर ये हमें सही राह दिखाते ओर सुधरते है 
कभी वक़्त के साथ ये बदलते है 
कभी मज़बूत ये हो जाते है 

Saturday, July 4, 2020

सफलता यूँही नहीं मिलती

कई सपनो को अपने झोंक कर कई अरमानो को सुली पर चढ़ा कर 
कई रातों को जाग कर कई लगातार प्रयास कर 
कई हार के बाद निरंतर उठ खड़े हो प्रयास कर 
कई ग़लतियों को सुधार कर 
कई उतार चढ़ाव पार कर 
कई निराशाओं मैं ना हर कर 
कई चूनोतियों को पार कर 
कई साहसों को बाँध कर 
कभी हार ना मान कर 
कई कठिनाइयों को पार कर 

Thursday, July 2, 2020

कलम

कलम हमारी कुछ ऐसा फ़साना बयान कर जाती है जो आया न कभी लबो पे ये शब्दों मैं बयान कर जाती है लिख जाती है ये कहानी मेरी ख़ामोशी की कर जाती है ये बयान दसताएं मेरी हालातो की करती नहीं ये दग्गा मुझे से मेरे रूबरू रह कर जो आ नहीं पाया कभी नज़र किसी को मेरी तस्सवूर मैं कर जाती है ये पूरी दास्तानें बयान मेरी कुछ अल्फाज़ो मैं

sab badal jata hai

Phle Jo karte the fikar beintehaa aj unko khbar lene ki jarurt bhi jaruri ni lagti.... Khete hai fikar bhut tumhari par fikar jesi koi bat b...