Thursday, May 28, 2020

अपने खली पन को भरते है

आओ चलो आज थोड़ा अपने लिए जी लेते है
ज़िंदगी के उस खली पन को आज भर लेते है
कुछ  पल वो वापिस से जी लेते है
जो थे कभी बच्चें हम मुट्ठी मैं थी ख़ुशियाँ हमारी
ना था ग़म किसी के ना होने  का ना थी ख़ुशी किसी के होने की
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ थी छोटे छोटे पल  मैं भर लेते थे
आओ चलो आज थोड़ा अपने लिए जी लेते है
ज़िंदगी के उस खली पन को आज भर लेते है
करते थे जो सिर्फ़ ख़ुशी कि लिए ना था जितने का शॉक
ना थी लड़ाई किसी से करते थे सब जो दिल को पसंद आता था
दुबारा एक बार वही सब अपना लेते है
आओ चलो आज थोड़ा अपने लिए जी लेते है
ज़िंदगी के उस खली पन को आज भर लेते है 

रिश्ते

रिश्ते आज के कुछ एसे हो गए है।
जहाँ कभी लोग पहले रिश्ते के लिए साथ थे
आज वही लोग मतलब कि लिए साथ है
रिश्ते आज के कुछ एसे हो गए है ।
जहाँ कल माँ की डाँट मैं प्यार था छुपा
आज उसको बचें उस डाँट को अपने बेज्जती समझ रहे है
रिश्ते आज के कुछ एसे हो गए है ।
जहाँ कल बाप कि कंधे पे बेथ पूरी दुनिया की सेर करते थे
आज वही बचे उन्हें साथ कंधे आ कंधा तक मिला नहीं चल पा rhe है
रिश्ते आज के कुछ एसे हो गए है ।
जहाँ पे लोग पहले प्यार मैं हद से गुज़र जाते थे
आज के वही प्यार मैं लोग हदें बना बेठे है
रिश्ते आज के कुछ  एसे हो गए है ।
जहाँ लोग इंसानियत निभाते हुए लोगों से रिश्ता ज़ोर लेते थे
वही आज के लोग रिश्ते मैं इंसानियत भूला बेठे है
रिश्ते आज के कुछ  एसे हो गए है ।
जहाँ लोग पहले ग़लतियों पे भी साथ ना छोरते थे
आज कि रिश्ते इतने कमज़ोर हो चुके है कि एक ग़लती पे रिश्ते ख़त्म हो जाया करते है
रिश्ते आज के कुछ  एसे हो गए है ।



Sunday, May 24, 2020

राह

      "अंजनी सी राह गुमनाम रास्ता "
"सफ़र है लम्बा  ख़ामोशियाँ का वास्ता "

ख़ुद को भूल जाते है

""कभी सपने सजाते है कभी तेरी बेरुख़ी मैं ख़ुद बिखर जाते है""
""कभी तुझे ख़ुश करने की चाह मैं हम ख़ुद को इस क़दर भूल जाते है ""

क्यूँ औरत आदमियों से पीछे

"राधा बिन कृष्णा अधूरे
सीता बिन राम
पार्वती बिन शिव अधूरे
लेते है जब नाम देवी का देवताओं से पहले
तो क्यूँ है  धरती पे औरत आदमियों से पीछे "

डगर

     "डगर है मुश्किल पर क़दम तू बढ़ाए चल "
"कामयाबी आएगी तेरे पास तू पास बेपरवाह बढ़ते चल"

अनजान

अनजान सी राह है मन मैं बड़ी उमंग है
लगता है डर कभी कभी ख़ुशियों की तरंग है
अनजान सी राह है मन मैं बड़ी उमंग है
कभी सुनसान सा रास्ता है  शोर गुल का वास्ता है

खुदा

तुझे लोग मंदिरो मैं ढूँढते है तो कुछ लोग तुझे मस्जिदों मैं ढूँढते है
पर तू है कहाँ ये ख़ुद ये इंसान नहीं जानते है ।।
ख़ुद बना कर ये तुझे यूँ पैसों मैं तोलते है
पर तू है कहाँ ये ख़ुद ये इंसान नहीं जानते है ।।
तुझे लोग गुरुद्वारे मैं ढूँढते है तो कुछ लोग चर्च मैं ढूँढते है
पर तू है कहाँ ये ख़ुद ये इंसान नहीं जानते है ।।
तू बसता है हर इंसानो मैं हर कण मैं हर राहों मैं
पर तू है कहाँ ये ख़ुद ये इंसान नहीं जानते है ।।
तुझे लोग क़ुरान मैं ढूँढते है तो कई गीता मैं ढूँढते है
पर तू है कहाँ ये ख़ुद ये इंसान नहीं जानते है ।।
तू बसता है हर फूल हर कलियों मैं हर भूखे हर इंसानो मैं
पर तू है कहाँ ये ख़ुद ये इंसान नहीं जानते है ।।
पर ये इंसान भूखे को ना खिला कर मंदिरो ओर दरगाहों पर
चढ़ावा चढ़ाते है
पर तू है कहाँ ये ख़ुद ये इंसान नहीं जानते है ।।

समय

समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
इंसान बस यूँही हाथ मलता रह जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
पल दो पल का साथ बस याद बन रह जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
जो है इस वक़्त उसे थाम लो कल को बस उम्र भर
अफ़सोस रह जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
जीना है तो इस पल मैं खुल के जी लो क्या पता
किससे दूर हमें ये समय ले जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
जो है साथ उसकी क़दर करो क्या पता  ये समय
कल तुम्हारे पास से उसे कहीं दूर ले जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा  ।
जो है जितना है उसने ख़ुश रहो ज़्यादा पाने की
चाह तुम्हें आपनो से दूर कर जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
जो करना है वो आज ही करो नहीं तो
ये वक़्त रेत की तरह कुछ यूँ निकल जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
आज तुम किसी का भला करो ये समय का
पहिया तुमको उसका फल दे जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।
कभी बहुत ख़ुशियाँ तो कभी ग़म की बोछर
कर जाएगा हर वक़्त मैं समय अपनी छाप छोर जाएगा
समय कुछ इस क़दर निकल जाएगा ।

अनकहा सा रिश्ता



अनकहा सा रिश्ता है
बिन समझाए सब कह जाता है
कभी प्यार बरसता है
कभी ख़फ़ा इस क़दर हो जाता है
कभी झुकता है
कभी झुकाता है
कभी रुलाता है
कभी हँसाता है
कभी ज़िंदगी जीने का सलीक़ा सिखाता है
कभी हाथ पकड़ के रास्ता पार करवाता है
कभी मुश्किलों मैं लड़ने की राह दिखता है
कभी मेरे नख़रे ये उठता है
कभी डाँटता है तो कभी प्यार बरसता है
अनकहा सा रिश्ता है
बिन समझाए सब कह जाता है 

Saturday, May 23, 2020

ये ठंडी हवा का झोंका

ये ठंडी हवा का झोंका कुछ एहसास दिला जाता है ।
ये ठंडी हवा का झोंका कुछ एहसास दिला जाता है ।
कई याद दिला जाता है कई मुलाक़ातें याद दिला जाता है
ये ठंडी हवा का खोला कुछ एहसास दिला जाता है ।
कई राज़ याद दिला जाता है कुछ ख़ास पहचान याद दिला जाता है
ये ठंडी हवा का झोंक कुछ एहसास दिला जाता है ।
कई साथ बिताए हुए तेरे साथ तेय किए सफ़र याद दिला जाता है
ये ठंडी हवा का झोंका कुछ एहसास दिला जाता है ।
कई वादे कई क़समें याद दिला जाता है
ये ठंडी हवा का झोंका कुछ एहसास दिला जाता है ।
ये ठंडी हवा का झोंका कुछ एहसास दिला जाता है ।

ख़्वाहिश जीने की

वो रोज़ की भागदौर वाली ज़िंदगी आज शांत सी हो गई है ।।
वो रोक की भागदौर वाली ज़िंदगी आज शांत सी हो गई है
वो पहले जैसी घर की रोनक आज हर घर मैं हो गई है ।।
वो रोज़ की भागदौर वाली ज़िन्दगी आज शांत सी हो गई है
वो पहले जैसे माँ के साथ बेठ बातों का दौर आज फिर से हो हुआ है ।।
वो रोज़ की भागदौर वाली ज़िंदगी आज शांत सी हो गई है
वो बरसो पहले बिताए हगे पाल आज जीने की ख़्वाहिश सी हो गई है ।।
वो रोज़ की भागदौर वाली ज़िंदगी आज शांत सी हो गई है
 वो पहले जेसे चिड़ियों का चहचाना कई बरसो बाद आज सुनाई सा आ रहा है ।।
वो बरसो बिताए साल आज जीने की ख़्वाहिश सी हो गई है
वो रोज़ भागदौर वाली ज़िंदगी आज शांत सी हो गई है ।।

ख़याल जब भी आता है तुम्हारा


ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं बिखर सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं टूट सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं सिमट सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं सँवर सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं मंद मंद मुस्कुरा सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं कली सी खिल सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं उनसुलझी सी कहानी बुन लेती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।

Tuesday, May 19, 2020

मज़दूर

 


आज फिर वो नीचे देख  थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बानाई हुई दुनिया कि ये दशा
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ पैदल चलना पाँव मैं छालें पड़ना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गाय होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ भूखा रहना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो का यूँ बेहावस सफ़र तेय करना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने उन मासूमों का भूख से चिलमिलना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को  यूँ बेक़दर भटकना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने बंदो का यूँ बेरोज़गार होना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ  बेवजह के हादसों का  शिकार होना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ बेबस होना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।

माँ

 



शब्द मैं ।        अर्थ वो ।
सवाल मैं ।     जवाब वो ।
ग़लत मैं ।       सही वो ।
गिरती मैं ।       सम्भालती वो ।
टूटती मै।        समेटती वो ।
दर्द मैं मैं।        दर्द की दवा वो ।
बुखार मैं मैं।     सोती ना वो ।

एक ही शब्द मैं पूरी कायनात है वो ।।
वो कोई ओर नहीं मेरी जन्नत है वो
एक ही शब्द मैं पूरी कायनात है वो ।।
वो कोई ओर नहीं मुझे इस दुनिया मैं लाने वाली है वो
एक ही शब्द मैं पूरी कायनात है वो ।।
मैंने उसे नहीं उसने मुझे लिखा है
वो कोई ओर नहीं मुझे लिखने वाली है वो ।।
वो कोई ओर नहीं मुझे बनाने वाली है वो
ख़ुद को मिटा के मुझे सवारने वाली है वो ।।
वो कोई ओर नहीं मेरी जन्नत है वो


Monday, May 18, 2020

मालूम नहीं

                                                  मालूम नहीं 



मालूम नहीं ज़िन्दगी किस राह पर ले जाएगी ज़िंदगी
पर जहाँ भी ले जाए कुछ नया सिखाएगी ज़िंदगी ।
जो होगा तेरा भला होगा क्यूँकि एसे ही जीना सिखाएगी ज़िंदगी
कई बार गिरेगा ज़रूर पर तुझे थाम लेगी ये ज़िंदगी ।

पर कुछ नया सिखाएगी ज़िंदगी तू रुक मत आगे बढ़ते चल
कुछ तो नया दिखाएगी ज़िंदगी कुछ तो सपने सजाएगी ज़िंदगी ।
कुछ नया सिखाएगी ज़िंदगी
मालूम नहीं किस राह पर ये ले जाएगी ज़िंदगी ।

और कब तक

                                                                        और कब तक



और कब तक उस चोखट् पर बेठ मैं तेरा इंतज़ार करूँ ।।
और कब तक मैं तेरे आने की आस करूँ ।
और कब तक मैं तेरी एक झलक पाने की राह तकूँ ।।
और कब तक मैं तेरा इन्तज़ार करूँ ।
और कब तक उस चोखट पर बेठ मैं तेरा इंतज़ार करूँ ।।
कुछ तो बता ए ज़िंदगी ।
और कब तक मैं उसका इंतज़ार करूँ ।।

ज़िंदगी

                                                     ज़िंदगी

   
कभी एक पहेली सी लगती है मुझे 
कभी एक सहेली सी लगती है मुझे ।।
कभी बहुत ख़ुश कर जाती है मुझे 
कभी रुला सी जाती है मुझे ।।
कभी एक पल मैं कुछ नया सिखा जाती है मुझे 
कभी एक उनसुलझी सी लगती है मुझे ।।
कभी रंगो की बोछर सी लगती है मुझे 
कभी गिरा कर थाम सी लेती है मुझे ।।
इसी तरह ये ज़िंदगी हर नया अध्याय सिखाती है मुझे ।

sab badal jata hai

Phle Jo karte the fikar beintehaa aj unko khbar lene ki jarurt bhi jaruri ni lagti.... Khete hai fikar bhut tumhari par fikar jesi koi bat b...