ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं बिखर सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं टूट सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं सिमट सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं सँवर सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं मंद मंद मुस्कुरा सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं कली सी खिल सी जाती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
मैं उनसुलझी सी कहानी बुन लेती हूँ
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
ख़याल जब भी आता है तुम्हारा ।
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