Tuesday, May 19, 2020

मज़दूर

 


आज फिर वो नीचे देख  थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बानाई हुई दुनिया कि ये दशा
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ पैदल चलना पाँव मैं छालें पड़ना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गाय होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ भूखा रहना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो का यूँ बेहावस सफ़र तेय करना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने उन मासूमों का भूख से चिलमिलना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को  यूँ बेक़दर भटकना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने बंदो का यूँ बेरोज़गार होना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ  बेवजह के हादसों का  शिकार होना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।
जब देखा होगा उसने अपने बंदो को यूँ बेबस होना
आज फिर वो नीचे देख थर्रा गया होगा ।

3 comments:

  1. True lines depicting current situation of the world

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  2. The Greatest poet... jaha na pahuche ravi waha pahuche kavi...

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if u have any doubts please let me know

sab badal jata hai

Phle Jo karte the fikar beintehaa aj unko khbar lene ki jarurt bhi jaruri ni lagti.... Khete hai fikar bhut tumhari par fikar jesi koi bat b...