Sunday, May 24, 2020

अनकहा सा रिश्ता



अनकहा सा रिश्ता है
बिन समझाए सब कह जाता है
कभी प्यार बरसता है
कभी ख़फ़ा इस क़दर हो जाता है
कभी झुकता है
कभी झुकाता है
कभी रुलाता है
कभी हँसाता है
कभी ज़िंदगी जीने का सलीक़ा सिखाता है
कभी हाथ पकड़ के रास्ता पार करवाता है
कभी मुश्किलों मैं लड़ने की राह दिखता है
कभी मेरे नख़रे ये उठता है
कभी डाँटता है तो कभी प्यार बरसता है
अनकहा सा रिश्ता है
बिन समझाए सब कह जाता है 

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