अनकहा सा रिश्ता है
बिन समझाए सब कह जाता है
कभी प्यार बरसता है
कभी ख़फ़ा इस क़दर हो जाता है
कभी झुकता है
कभी झुकाता है
कभी रुलाता है
कभी हँसाता है
कभी ज़िंदगी जीने का सलीक़ा सिखाता है
कभी हाथ पकड़ के रास्ता पार करवाता है
कभी मुश्किलों मैं लड़ने की राह दिखता है
कभी मेरे नख़रे ये उठता है
कभी डाँटता है तो कभी प्यार बरसता है
अनकहा सा रिश्ता है
बिन समझाए सब कह जाता है
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