गिरते हुए को सम्भालता हुआ देखा है ।
मैंने टूटे हुए को बनते देखा है ।
बिखरते हुए को समिटते देखा है ।
मैंने ज़िन्दगी की दोड़ मैं लोगों को पीछे छूट ते देखा है ।
एक दूसरे को गिराते देखा है ।
कई घरोंदे बनते देखा है कई बिगड़ते देखा है ।
ग़रीबों को भूँक से चिलमिलते देखा है ।
मैंने इंसानियत को मरते देखा है ।
बेज़ुबानो पर अत्याचार होते देखा है ।
अपने सपनो को जीने के लिए दूसरे के सपनो को कुचलते हुए देखा है ।
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