रूप का श्रृंगार सिर्फ़ आँखो को उझल कर जाती है ।।
पर आत्मा का श्रृंगार हर किसी के दिल मैं इस क़दर घर कर जाती है।
ख़ूबसूरत रूप का क्या ये तो दो चार दिन में ढल जाती है ।।
पर आत्मा की सुंदरता निरंतर निखरती चली जाती है ।
आँखो को चँका-चोंध कर रूप का श्रृंगार पहचान बदल जाती है ।।
पर आत्मा का श्रृंगार इंसान की पहचान बन जाती है ।
Nice lines👏🏻👏🏻👏🏻should be followed by all👌🏻👌🏻👌🏻
ReplyDeleteIts a deep sensing words...
ReplyDeleteBhot ache,siso.
ReplyDeleteReally beautiful lines🍁😇
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